रिश्तों की बदलती तस्वीर
धीरे-धीरे इस संसार मैं, हर रिश्ता बदल रहे हैं।।
कल तक थे जो अपने, आज वो गैर हो रहे हैं................
मां-बाप बहन...
सब अनजान हो रहे है।।
पैसों के लिए देखो,
किस कदर रिश्ते नीलाम हो रहे है।।
कल तक थे जो अपने,
आज वो गैर हो रहे हैं...........
पहले देख पुरानी तस्वीर को,
कैसे आंख से आंसू टपकते थे।
पर अब देख उसी तस्वीर को,
क्यों आंख लाल (गुस्सा) हो जाती है।।
मां-बाप रिश्तेदारों को देकर गालियां,
क्यों हम रिश्तों को बिगाड़ रहे हैं।। कल तक थे जो अपने, आज वो गैर हो रहे हैं...............
कल तक जिन्हें देख कर खुशी मिल रही, आज उन्हें देख क्यों नज़रे फेर रहे है.. आगे बड़ने की चाह में देखो , सब रिश्ते पीछे छूट रहे हैं।। हर कोई मौन खड़ा यहां, कोई क्यों नहीं रिश्ते सुधार रहे है।। कल तक थे जो अपने, आज वो गैर हो रहे हैं.........
ऐसा ही चलता रहा तो "विकास"
इन रिश्तों को कौन बचाएगा.....
माता-पिता, चाचा-चाची, दादा-दादी,
मामा कहके कौन बुलाएगा।।
क्यों शोहरत के लालच में लोग,
इस प्यार-मोहब्बत को भुला रहे है||
कल तक थे जो अपने,
आज वो गैर हो रहे हैं...........
Abhinav ji
15-Jan-2023 09:14 AM
Very nice
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Swati chourasia
08-Jul-2022 07:13 PM
बहुत खूब 👌
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Gunjan Kamal
30-Jun-2022 08:29 PM
बहुत खूब
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